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राज कॉमिक्स के संस्थापक श्री राज कुमार गुप्ता जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

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राज कॉमिक्स के संस्थापक श्री राज कुमार गुप्ता जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

वर्ष 2020 कॉमिक्स जगत को एक गहरा आघात दे गया है. 14 दिसम्बर को श्री संजय गुप्ता जी ने जब यह बात साझा किया की ‘बाबूजी’ नहीं रहें तो एक बारगी विश्वास नहीं हुआ, यह जीवन क्षणभंगुर है और मृत्यु अटल सत्य जिसे न चाहते हुए भी स्वीकारना पड़ता है. दशकों से जन-प्रसिद्ध राजा पॉकेट बुक्स और राज कॉमिक्स के संस्थापक श्री राजकुमार गुप्ता जी अब हमारे बीच नहीं रहें. आज हृदय का घनत्व एकाएक बढ़ गया है, उँगलियों से शब्द नहीं निकल रहें है. भारत में राज कॉमिक्स और नॉवेल्स के अद्भुद संसार का बीज रोपित करने वाले महामानव आज हमारे बीच नहीं है यह सोचकर ही मन द्रवित हो रहा है।

Raj Kumar Gupta - Founder Of Raj Comics & Raja Pocket Books
Raj Kumar Gupta – Founder Of Raj Comics & Raja Pocket Books

वर्ष 1986 में जो बीज राज सर के द्वारा रोपित किया गया था वह विगत कुछ सालों में संजय जी, मनोज जी और मनीष जी के सानिध्य में फल फूलकर एक विशाल बरगद के वृक्ष में बदल चुका है. लगभग चार दशक पुरानी विरासत को भारत में नहीं अपितु विदेशों में भी पहचान प्राप्त है. दशकों से लाखों भारतीय पाठकों के बचपन और युवावस्था की सुनहरी एवं अमूल्य यादों की धरोहर के रचियता रहें है राजकुमार गुप्ता जी और आशा है की राज कॉमिक्स अपनी इस विरासत को निरंतर जारी रखेगा जिसकी जड़ें दिवंगत राजकुमार जी के कर्मयोगी जीवन से निर्मित है।

आदरणीय राज सर के लिए कॉमिक्स जगत के आधारस्तंभों के कुछ विचार और श्रद्धांजलि

श्री संजय अष्टपुत्रे जी

“राज कॉमिक्स के श्री राजकुमारजी गुप्ता की जाने की खबर सुनके बड़ा दुख हुआ, कॉमिक्स जगत के वह परमपिता थे, 90’s में, मैं उनके लिए ‘नागराज’ कॉमिक्स आर्ट वर्क का काम करता था, दुर्भाग्यवश उनसे कभी वार्तालाप या मुलाक़ात हो नही पाई, किन्तु वे एक विशाल हृदय एवं सज्जन गृहस्थ थे इसकी अनुभूति कई बार हुई, कला एवं कलाकार की वे बहोत इज्जत करते थे, भगवान उनके आत्मा शांति प्रदान करे।”

श्री अंसार अख्तर जी

“अभी अभी यह दुखद समाचार मिला की श्री राज कुमार गुप्ता जी अब हमारे बीच नहीं रहे।भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। मैं राज जी को तब से जनता हूं जब वो अपने भाइयों के साथ मनोज पॉकेट बुक्स का संचालन करते थे। मेरे पिता श्री इजहार असर “दर्पण” लेखक थे और मनोज पॉकेट बुक्स के लिए लिखते थे। वो स्क्रिप्ट उर्दू में लिखा करते थे और मैं उसका हिंदी में अनुवाद करता था। इसी सिलसिले में राज जी से मिलना होता था।फिर राज जी मनोज पॉकेट बुक्स से अलग हो गए और राजा पॉकेट बुकस की स्थापना की जो अब राज पॉकेट बुक्स और RC के नाम से जाना जाता है। मैंने राज जी के साथ बहुत अधिक काम नहीं किया क्योंकि मैं मनोज पॉकेट बुक्स के साथ इंगेज था। लेकिन जब कभी भी राज जी से मिलना होता था, वो बहुत प्रेम से मिलते थे, मेरे काम को पसंद करते थे और मुझे उनका आशीर्वाद भी प्राप्त था। सच में उनको प्रकाशन कार्य की ज़बरदस्त समझ थी। प्रकाशन जगत में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।”

श्री नितिन मिश्रा जी

“श्री राजकुमार गुप्ता सर ना सिर्फ राज कॉमिक्स के आधार स्तंभ थे, बल्कि वो प्रेरणास्रोत थे जिन्होंने नागराज जैसा कालजयी किरदार गढ़ने की प्रेरणा दी थी। उनकी महान शख्सियत और सरल व्यक्तित्व किसी को भी सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे। मुझे याद है वर्ष 2012 में मैं संजय सर के साथ उनके आवास गया था उस समय उनके आवास के मुख्य द्वार पर गरीबों की लंबी कतार लगी थी। संजय सर की माता जी के साथ राज कुमार गुप्ता सर स्वयं एक-एक व्यक्ति को अपने हाथ से भोजन परोस रहे थे। उनका जाना एक युग का अंत है, एक अपूर्ण क्षति है। परमपिता परमेश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।”

श्री निखिल प्राण जी

“He was a visionary. Raj ji had visited our house while starting their journey in comics. And had discussed about his idea of creating Indian super heroes with my father Pran ji. After that rest is history!.”

श्री तरुण कुमार वाही जी

“राज जी बहुत सपोर्टिव, मृदुभाषी और धार्मिक इंसान थे, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। ॐ शांति।”

श्री नरेश कुमार जी

“मैं शायद पहली बार 1989 के आस पास उनसे नॉवेल के सिलसिले में मिला था. तब मैं एन एस धम्मी जी या कहें विनोद जी के साथ उनके यहाँ काम करता था. 22 साल का रहा होऊंगा क्योंकि दूसरों के लिए गया था तो पुराने कवर रेफरेंस देकर राजकुमार गुप्ता जी ने वापस भेज दिया. फिर एक समय आया जब एक आर्टिस्ट के रूप में राज कॉमिक्स पहुँचा तब ज्यादा संजय जी से काम पड़ा क्योंकि कॉमिक्स का काम उन दिनों संजय जी ही सँभालते थे. राजा पॉकेट बुक्स में जब ऑफिस के पिछले गेट की तरफ स्टूडियो का निर्माण हुआ तब हम में से कुछ आर्टिस्ट वहां बैठने लगे. कभी लंच के समय बड़े सर गार्डन में मिल जाते तो पूछते कौन हो? मैं बोलता सर नरेश, वो पूछते क्या करते हो? सर आर्टिस्ट हूँ, मैं जवाब देता कॉमिक्स बनाता हूँ, अच्छा बोलकर वो आगे बढ़ जाते. ऐसा एक बार नहीं अनेकों बार हुआ. मैं सोच में पड़ जाता की सर कब जानेंगे की मैं भी एक आर्टिस्ट हूँ और मेरा नाम नरेश है. पर एक दिन ऐसा आया… हुआ यूँ की मनोज गुप्ता जी ने एक रामायण पर इलस्ट्रेटेड बुक के लिए कुछ आर्ट पेंसिल करवाया. मैंने पेंसिलिंग करके दे दिया और इंकिंग के लिए उनकी तरफ से अप्रूव होकर आना था. कॉमिक्स की व्यवस्ता के कारण वो पूरा नहीं हुआ और वह पेंसिल आर्ट पड़ा रहा. एक दिन शायद राजकुमार सर को वो आर्ट हाँथ लगा तो उन्होंने जानकारी हासिल करने के लिए संजय जी के केबिन में गए की यह किसका आर्ट है, मुझे ये आर्टिस्ट चाहिए? संजय जी को तब यह नहीं पता था की यह मैंने किया है, उन्होंने पता लगाने के लिए पूछताछ की तब बात मुझ तक पहुंची, फिर मैंने उन्हें बताया की यह मैंने बनाया है तो राज जी, संजय जी से बोले की यह आर्टिस्ट मुझे दे दो पब्लिकेशन का काम करवाने के लिए. पर संजय जी अड़ गए की मैं अपना आर्टिस्ट यानि कॉमिक बुक का आर्टिस्ट नहीं दे सकता. कहने का तात्पर्य यह है की उनके सानिध्य में कार्य करना या उनसे अपनी पहचान कराने या रूबरू होने का मौका मुझे कभी नहीं मिला, लेकिन मैं जानता था और जानता हूँ की पब्लिकेशन लाइन में लेखन चित्रांकन की पहचान या जानकारी रखने वाला इन जैसा ज्ञाता ना था और ना अब होगा. उनके जाने से ये रिक्तता शायद ही कोई भर पाए. मैं उनको नमन करता हूँ…..बड़े सर बाबूजी, राजकुमार गुप्ता जी आप सदैव हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के दिलों में रहेंगे…श्रद्धांजलि..।”

श्री बसंत पंडा जी

“राज कॉमिक्स में कार्य करते हुए राजकुमार सर के साथ मेरा ज्यादा मेल जोल तो मेरा नहीं होता था पर जब भी उन्हें मैं देखता था तो उनके अंदर की उर्जा को देखकर मुझे काफी कुछ उनसें सीखने को मिला था. इस उम्र में भी उनमें एक अलग सा जोश था, उन्हें देखकर ऐसा लगता जैसे उमंगों से भरा कोई नौजवान कुछ कर दिखने के जस्बे के साथ आया हो. हिंदी साहित्य और कॉमिक्स जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है जिसे भर पाना बहुत मुश्किल है. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है की हमने एक ऊर्जावान व्यक्तित्व को खो दिया है।”

श्री सुशांत पंडा जी

“आज शाम को जब मैं फिक्शन के आगामी कॉमिक्स हैप्पी बर्थडे के लिए संपादकीय लेख लिखने बैठा था तभी मेरे मित्र मंदार गंगेले का कॉल आया। फोन उठाते ही भरे गले से उन्होंने बस इतना ही कहा कि बड़े सर नहीं रहे। जिन्हें हम सब राज कॉमिक्स के स्टाफ ‘बाबूजी’ कहकर पुकारते थे, बड़े सर यानि ‘राज कुमार गुप्ता’। ये शब्द सुनते ही मन जैसे ब्लेंक हो गया। उनका मुस्कुराता चेहरा आंखों के सामने घूमने लगा। दिमाग मे सैकड़ों घटनाएं किसी फिल्म की तरह घूमने लगी थी। मैं क्या लिखने वाला था अब मुझे कुछ भी याद नहीं रह गया था। उनकी बातें उनके साथ बिताए गए पल बस जेहन में घूम रहे थे। और तब मैंने डिसाइड किया कि ये लेख मैं उनको श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित करूँगा। हालांकि मन मे एकबार ये ख्याल भी आया कि मैं एक बर्थडे से जुड़े कॉमिक नाम के संपादकीय लेख में उनकी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूँ।”

भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री के दिग्गज रचनाकारों – “श्री दिलीप कदम जी”, “श्री विवेक मोहन जी” एवं “श्री अनुपम सिन्हा जी” ने भी अपनी ओर से सोशल मीडिया में उनके संस्मरण और यादें साझा की और उनके अकस्मात चले जाने का आघात सभी के लिए एक शून्यता का निर्माण कर गया जिसे भर पाना बड़ा ही मुश्किल है। भारतीय काॅमिक्स जगत में आपका कार्य और नाम सदैव अमर रहेगा सर। काॅमिक्स बाइट के सभी पाठकों की ओर से महामानव श्री राज कुमार गुप्ता जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली एवं नमन।

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