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फैन कॉर्नर – कुमार उद्दाम : कॉमिक प्रेम के ढाई दशक

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आर्टिस्ट एवम् लेखक शंभू नाथ महतो जी के कलम से

मित्रों जिस प्रकार प्रेम के ढाई अक्षर होते हैं वैसे ही उत्तर प्रदेश के कुमार उद्दाम जी का कॉमिक्स का प्रेम है और वह भी पूरे ढाई दशक का।

आज हम आपको बताते हैं उद्दाम जी के शानदार कॉमिक्स प्रेम के सफर के बारे में, उद्दाम जी कॉमिक्स से रूबरू करवाया उनके परिवार में मौजूद उनकी बहन और उनके माता पिता ने जो नब्बे के मध्य तक परवान चढ़ चुका था यानि जब भी वे अपने पिताजी के साथ बाजार जाते तो उनकी खुद की नन्ही निगाहें कॉमिक्स को खोजती रहतीं और कॉमिक्स दिखी नहीं कि वहां ब्रेक लगे।।

  • नाम: कुमार उद्दाम “जान्हवी”
  • उम्र: 28 वर्ष
  • शैलियों के शौक़ीन: डरावनी, अपराध, रहस्य
  • पसंदीदा कॉमिक्स: ईस्ट या वेस्ट राज कॉमिक्स इज द बेस्ट

हालाँकि उद्दाम जी का बचपन पूरा होते होते कॉमिक्स का समय भी पूरा हो चुका था यानी कि नई शताब्दी तक आते-आते आस-पास के इलाके में कॉमिक्स मिलना बंद हो गई, ऊपर से पिताजी की सीखाई आदत की कॉमिक्स किराये पर नहीं बल्कि खरीद कर पढ़ना है।

एक तो कॉमिक्स नहीं ऊपर से खरीदने के लिए पूरा मूल्य चुकाना यानी कम कॉमिक्स ही पढ़ पाना, पर कम हो या ज्यादा कॉमिक्स प्रेम तो कॉमिक्स प्रेम ही है। जैसे तैसे इधर-उधर से साल भर में दो – चार – दस कॉमिक्स का जुगाड़ कर ही लेते थे। कभी कभार तो पिताजी जब दिल्ली जाते तो वहां उन्हें एक लिस्ट के साथ भेजा जाता कि वे सारी कॉमिक्स खरीद लाएं । पर जब कुछ कॉमिक्स न मिलती तो लगता कि उस कॉमिक्स की जबरदस्त डिमांड है इसलिए नहीं मिली होगी। जब थोड़े बड़े हुए तो कई बार तो सीधे प्रकाशकों से मनीऑर्डर देकर भी मंगवाने लगे।

अब जब वे खुद एक शिक्षक हैं वे जब भी मन करता है ऑनलाइन कॉमिक्स खरीद कर पुरानी बचपन के कॉमिक्स की दुनिया में खो जाते हैं। यही नहीं वे अपने छात्रों को अपनी छोटी सी कलेक्शन वाली लाइब्रेरी में से पुस्तकें व कॉमिक्स पढ़ने को प्रोत्साहित भी करते हैं। अंग्रेजी भाषा में स्नातक व विद्वान उद्दाम जी बड़ी बारीकी से पुराने और नए कॉमिक्स के दौर को जी रहे हैं । उद्दाम जी का मानना है कि मौजूदा हालात में राज कॉमिक्स ही एक ऐसी कॉमिक्स कंपनी है जो कि भारतीय कॉमिक्स को शिखर पर ले जा सकती है । बाकी कॉमिक्स प्रकाशकों के प्रयासों की वे सराहना करते हैं और उनके लिए सर्वदा शुभकामनाएँ प्रेषित करते हैं। उन्हें एमआरपी बुक शॉप के कॉमिक्स बिक्री के प्रयासों को देखकर लगता है कि उनके जैसे पाठकों के लिए ऐसे प्लेटफॉर्म होने चाहिए ताकि वे वाजिब कीमत पर कॉमिक्स खरीदकर पढ़ सकें । इस संदर्भ में वे उन दिक्कतों को लेकर बहुत चिंतित हैं जहां की कॉमिक्स पढ़ने के इच्छुक सिर्फ इसलिए कॉमिक्स नहीं पढ़ पाते क्योंकि आजकल कॉमिक्स के दाम उस पर छपी एमआरपी से भी अत्यधिक लिए जाने लगे हैं भले ही वे दुर्लभ / रेयर कॉमिक्स न हों। उद्दाम जी क्योंकि एक पाठक हैं इसलिए उन्हें लगता है कि जहां ऑनलाइन बिक्री का फायदा है कि आसानी से कॉमिक्स मिलने लगी हैं वहीं महंगी प्रकाशित होती नई कॉमिक्स और कुछ अव्यवसायिक सेलर्स द्वारा पुरानी कॉमिक्स को छपे हुए मूल्य से भी अत्यधिक ज्यादा दामों में बिक्री की जाने की बढ़ती गई प्रवृति ने पाठकों से कॉमिक्स को दूर कर दिया है और सिर्फ वे पाठक ही ऑनलाइन हर मनपसंद कॉमिक्स खरीद सकते हैं जिनके पास अत्यधिक धन हो।

परंतु उद्दाम जी भविष्य को लेकर आशावान हैं कि कॉमिक्स कम से कम अभी भी मौजूद है और नए- नए प्रकाशकों के आगमन से पुरानी न सही नई कॉमिक्स तो आती रहेंगीं।”

कुमार उद्दाम जी के विचार

आज के भागम-भाग के दौर में उद्दाम जी अपने कॉमिक्स का न सिर्फ कलेक्शन बढ़ा रहे हैं बल्कि उसे पढ़ते भी हैं । कॉमिक्स में उन्हें राज कॉमिक्स सर्वप्रिय है और साथ ही वे हॉरर और मंगा कॉमिक्स के दीवाने भी हैं उनके सर्वप्रिय भारतीय कॉमिक्स चरित्रों में शिखर पर नागराज और ध्रुव हैं। उद्दाम जी को आशा है कि भविष्य में कॉमिक्स का प्रचलन और बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा उन्हें कॉमिक्स पढ़ने को मिलेंगी।

तो मित्रों, आपको कॉमिक्स पाठक उद्दाम जी पर यह लेख कैसा लगा हमें अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें । जल्द मिलते हैं इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ जिसमे हम आपको किसी अन्य पाठक या रचनाकार से अवगत कराएंगे, अगर ये पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों, ग्रुप्स, फेसबुक और अन्य सोशल टच पॉइंट्स पर ज्यदा से ज्यदा शेयर करे, हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे और कोई अन्य जानकारी आपके पास हो तो हमे कमेंट सेक्शन में मेंशन करिये, आभार – कॉमिक्स बाइट!

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